Monday, May 12, 2025

Transmission Media in Hindi - Sunrise Computer

TRANSMISSION MEDIA

Transmission Media
सूचना को Sender से Receiver तक पहुँचाने का माध्यम Transmission Media कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है:

  1. Guided Media (Wired)

  2. Unguided Media (Wireless)


1. Guided Media (Wired Transmission Media)

ऐसे Transmission Media जिसमें दो डिवाइसों के बीच कनेक्शन एक भौतिक माध्यम (जैसे तार या केबल) द्वारा स्थापित होता है, उन्हें Guided Media या Wired Media कहा जाता है।

इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

(a) Coaxial Cable

इसमें एक खोखली धातु की नली होती है जिसके अंदर एक केंद्रीय चालक अक्षीय रूप से स्थित होता है। इन दोनों के बीच एक परावैधुत माध्यम (dielectric medium) भरा होता है।

  • Coaxial Cable का उपयोग सामान्यतः 1 GHz तक की आवृत्तियों के लिए किया जाता है। इससे अधिक आवृत्तियों पर परावैधुत हानि (dielectric loss) अधिक हो जाती है।

  • ये केबल महंगी होती हैं, और उच्च आवृत्तियों पर इनका उपयोग उपयुक्त नहीं रहता।

  • दो मुख्य प्रकार:

    • 50 Ohm Cable: डिजिटल ट्रांसमिशन के लिए

    • 75 Ohm Cable: एनालॉग ट्रांसमिशन के लिए

(b) Fiber Optic Cable

यह केबल ग्लास या प्लास्टिक से बनी होती है जिसे ऑप्टिकल फाइबर कहा जाता है।

  • इसमें सूचना प्रकाश के रूप में प्रेषित होती है।

  • इसका उपयोग लम्बी दूरी और उच्च बैंडविड्थ संचार के लिए किया जाता है।

(c) Twisted Pair Cable

यह एक तांबे की बनी केबल होती है जिसमें दो विद्युतरोधी तारों को आपस में लपेटकर बनाया जाता है।

  • यह डिज़ाइन सिग्नलों में हस्तक्षेप (interference) को कम करता है।

  • इसका उपयोग टेलीफोन लाइनों में और लैन नेटवर्किंग में किया जाता है।


2. Unguided Media (Wireless Transmission Media)

ऐसा Transmission Media जिसमें सूचना के संचार के लिए किसी भौतिक माध्यम की आवश्यकता नहीं होती, उसे Wireless Media या Unguided Media कहते हैं।

इसके प्रमुख प्रकार हैं:

(a) Radio Waves

  • इनकी आवृत्ति 3 KHz से 1 GHz तक होती है।

  • ये Omni-directional होती हैं यानी सभी दिशाओं में फैलती हैं।

  • उपयोग: टीवी, रेडियो, मोबाइल संचार।

  • रेडियो ट्यूनर इन तरंगों को पकड़कर यांत्रिक कंपन में बदलता है जिसे हम ध्वनि के रूप में सुनते हैं।

(b) Microwaves

  • इनकी आवृत्ति 1 GHz से अधिक होती है।

  • तरंगदैर्ध्य सेंटीमीटर में होती है।

  • उपयोग: मोबाइल संचार, Wi-Fi, सैटेलाइट संचार और माइक्रोवेव ओवन में।

(c) Infrared Waves

  • ये विद्युतचुंबकीय विकिरण होती हैं जिनका तरंगदैर्ध्य मानव आँख द्वारा नहीं देखा जा सकता, लेकिन त्वचा द्वारा ऊष्मा के रूप में महसूस किया जा सकता है।

  • उपयोग: टीवी रिमोट, वायरलेस LAN, CCTV, मिसाइल गाइडेंस।

  • खोजकर्ता: Sir William Herschel (सन् 1800)


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Sunday, June 6, 2021

Merit & Demerit of Peer to Peer Network in Hindi - Sunrise Computer

 Merit & Demerit of Peer to Peer Network

Advantage of Peer to Peer Network

1. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे Install और Setup करना बहुत ही आसान है। जिसका मतलब यह है कि इस Network को Configure और Implement करना बहुत Easy होता है।

2. इसे मैनेज करना भी बहुत आसान होता है क्योंकि प्रत्येक कंप्यूटर खुद को मैनेज करता है।

3. Peer to Peer Network की Cost कम होती है।

4. इसमें प्रत्येक कंप्यूटर जो है वह Server तथा Client दोनों की तरह कार्य करते है। इसलिए Dedicated Server की आवश्यकता नहीं होती है।

5. इसमें यदि एक कंप्यूटर में कोई खराबी आ जाती है तो इसका फर्क दुसरे Computers में नहीं पड़ता है।

6. इसमें Full-Time System Admin की जरूरत नहीं होती है। प्रत्येक यूजर अपने कंप्यूटर का Admin होता है। यूजर अपने Shared Resources को नियंत्रित कर सकते है।

7. इसमें Network Operating System की आवश्यकता नहीं पड़ती।

Dis-Advantage of Peer to Peer Network

1. इसमें एक Centralized Server नहीं होता है इसलिए इसे Administrate करना कठिन होता है और Data का Backup लेना भी Difficult होता है।

2. इसमें Security बहुत ही कम होती है इसमें Virus, Trojan, Spyware तथा Malware को आसानी से ट्रांसमिट किया जा सकता है।

3. इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग Torrents में किया जाता है। जहाँ कॉपीराइट Music Files तथा Videos को ट्रान्सफर किया जाता है।

4. प्रत्येक कंप्यूटर को दुसरे Users भी Access करते है इस कारण से यूजर की Performance Slow हो जाती है।


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Difference Between Physical & Logical Address in Hindi - Sunrise Computer

 Difference Between Physical & Logical Address

Physical address

Logical Address

Physical Address को MAC एड्रेस भी कहते है।

इस एड्रेस को Virtual एड्रेस भी कहते है।

यह एड्रेस यूनिक होता है क्योंकि इसे Change नही किया जा सकता है।

यह एड्रेस Virtual मैमोरी में स्टोर रहता है। 

फिजिकल एड्रेस Main मैमोरी में स्टोर होता है, यह एक 48 बिट एड्रेस है जो कि NIC कार्ड में उपस्थित होता है।

यह एड्रेस CPU द्वारा Generate होता है। यह हर सिस्टम के लिए अलग-अलग होता है तथा इसे Change किया जा सकता है। 


इस एड्रेस का प्रयोग डेटा लिंक लेयर में किया जाता है।

इस एड्रेस का प्रयोग नेटवर्क लेयर में किया जाता है। 

यह एड्रेस नेटवर्क में कंप्यूटर को Identify करने का कार्य करता है।

लॉजिकल एड्रेस एक IP एड्रेस होता है तथा यह एक 32-बिट एड्रेस होता है।


उदाहरण 

MAC एड्रेस:- 05-0h-77-7i-88-9a एक हेक्साडेसीमल वैल्यू होती है।

उदाहरण 

IP एड्रेस:-190.10.134.76



Difference Between Procedural & Non Procedural Language in Hindi - Sunrise Computers

Difference Between Procedural & Non Procedural Language 

Procedural Language

Non-Procedural Language

यह एक Command Driven भाषा है।

यह एक Function Driven लैंग्वेज है।

इसकी Efficiency (दक्षता) Non-Procedural से अधिक होती है।

इसकी दक्षता Procedural से कम होती है।

इसके Program का Size बहुत बड़ा होता है।

इसके Program का साइज़ कम होता है।

यह Time-Critical एप्लीकेशन के उपयुक्त (Suitable) नहीं होता है।

यह Time-Critical एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त होता है।

इसके Semantics बहुत ही Complex (कठिन) होते हैं।

इसके Semantics बहुत ही Easy होते हैं।

यह केवल restricted data types को ही return करता है।

यह किसी भी Data Types और Values को Return कर सकता है।

Procedural Language में Iterative Loops और Recursive Calls दोनों का प्रयोग किया जाता है।

Non-Procedural Languages में Recursive Calls का प्रयोग किया जाता है।


Difference Between Machine & Assembly Language in Hindi - Sunrise Computers

Difference Between Machine & Assembly Language

Machine language

Assembly language

Machine language एक नीचे स्तर (Lowest level) की एक भाषा है। जिसमें बाइनरी संख्या होती हैं जिसे कंप्यूटर सीधे execute कर सकता है।

Assembly Language एक low-level प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसको मशीन लैंग्वेज में बदलने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है जिसे assembler कहते है।

मशीनी भाषा को मनुष्यों द्वारा समझा नहीं किया जा सकता है और इसे केवल कंप्यूटर द्वारा ही समझा जा सकता है।

असेंबली भाषा को मनुष्यों के द्वारा समझा जा सकता है तथा इसे प्रयोग और apply भी किया जा सकता है।

मशीनी भाषा में बाइनरी अंक 0 और 1 शामिल होते हैं।

Assembly language में syntax होते हैं जो कि English language के समान होते हैं। इसलिए, इन्हें प्रोग्रामर और users द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।

Machine Language जो है वह Platform Dependent होता है अर्थात यह Language प्रत्येक प्लेटफार्म के लिए अलग अलग होती है। इनके Features इसी अनुसार बदलते रहते है।

Assembly Language में instructions के समूह होते हैं और ये प्रत्येक platform के लिए एक समान होते हैं।

मशीन लैंग्वेज का प्रयोग मशीन कोड के रूप में ही किया जाता है।

असेंबली लैंग्वेज का प्रयोग माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित डिवाइस में, और Real Time Systems में किया जाता है।

Machine Language जो है वह First Generation Language है।

Assembly Language जो है वह Second Generation Language है।

मशीनी भाषा को बदला नहीं जा सकता है।

इसे बदलना या Modify करना बहुत ही आसान होता है।

मशीन भाषा के Syntax में Errors का Risk बहुत ही अधिक होता है।

इसमें Errors का खतरा कम होता है।

Binary Codes को हम याद नहीं कर सकते।

Assembly language में दिए गये Commands को याद किया जा सकता है।

इसमें कमांड्स को Execute करने के लिए Assembler की आवश्यकता नहीं होती हैं।

इसमें Commands को अच्छी तरह Execute करने के लिए Assembler की आवश्यकता होती है।



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Detail About Web Server & Application Server (In Hindi) - Sunrise Computer

Detail About Web Server & Application Server
Web Server
Web Server एक प्रोग्राम है| जो कि HTTP (हाइपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल) का प्रयोग Users को Web Pages को Serve करने में करता है| जब कोई यूजर किसी Web Page के लिए Request करता है तो वह उसे वेब पेज serve करता है|

Application Server
एप्लीकेशन सर्वर एक सर्वर प्रोग्राम होता है जो कि एप्लीकेशन प्रोग्राम के लिए Business Logic उपलब्ध करवाता है|
एप्लीकेशन सर्वर जो है वह वेब एप्लीकेशनों को बनाने की सुविधा उपलब्ध करवाता है तथा इन वेब एप्लीकेशन को Run करने का वातावरण भी देता है।

Difference Between Web Server & Web Application

1. वेब सर्वर केवल http, https प्रोटोकॉलों को ही सपोर्ट करता है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर केवल http और https तक ही सीमित नही है| यह http, https के साथ-साथ iiop, rmi प्रोटोकॉलों को सपोर्ट करता है|

2. वेब सर्वर छोटे तथा मध्यम आकार वाले वेब एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर का प्रयोग सामान्यतया बड़े पैमाने में किया जाता है|

3. वेब सर्वर jee मोड्यूल के servlet, JSP तकनीको के आधार पर विकसित किया गया है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर जो है वह servlet, JSP, EJB, JTA, जावा मेल तकनीको के आधार पर विकसित किया गया है|

4. वेब सर्वर केवल Servlet कंटेनर तथा JSP कंटेनर का ही प्रयोग करते है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर जो है वह servlet कंटेनर, JSP कंटेनर तथा EJB कंटेनर का प्रयोग करता है|

5. वेब सर्वर केवल .war extensions वाली फाइलों को ही Deploy करता है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर .war तथा .ear दोनों फाइलों को Deploy कर सकता है|

6. वेब सर्वर में रिसोर्स यूटिलाइजेशन निम्न होता है|जबकि एप्लीकेशन सर्वर में रिसोर्स यूटिलाइजेशन उच्च होता है|

7. वेब सर्वर का प्रयोग सबसे पहले 1989 में किया गया था| जबकि एप्लीकेशन सर्वर का प्रयोग 1990s में किया गया था|

8. वेब सर्वर के उदाहरण:- Tomcat, Apache, JWS, तथा Reisn आदि है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर के उदाहरण:- Weblogic, Jboos, तथा Websphere आदि है|


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Multiple Access Techniques (In Hindi) - Sunrise Computers

 Multiple Access Techniques

FDMA (Frequency Division Multiple Access)

FDMA का पूरा नाम फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह Cellular System के लिए एक Multiple Access Techniques है जिसमें फ्रीक्वेंसी को विभाजित किया जाता है। इसमें लिंक की उपलब्ध Bandwidth को विभिन्न नोड्स (स्टेशन) के मध्य फ्रीक्वेंसी बैंड्स के रूप में विभाजित किया जाता है। इसमें प्रत्येक स्टेशन को डेटा भेजने के लिए एक बैंड एलोकेट किया जाता है तथा प्रत्येक बैंड हमेशा एक स्टेशन के लिए रिज़र्व रहता है। इसमें प्रत्येक स्टेशन की ट्रांसमीटर फ्रीक्वेंसी को सिमित रखने के लिए एक बैंडपास फ़िल्टर का उपयोग किया जाता है। FDMA में एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन के मध्य Overlapping से बचने के लिए Allocated बैंड्स के मध्य एक छोटा बैंड जिसे गार्ड बैंड कहते है स्थापित किया जाता है।


TDMA (Time Division Multiple Access)

TDMA का पूरा नाम टाइम डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह एक Multiple Access Techniques है। इसमें चैनल की Bandwidth को विभिन्न नोड्स (स्टेशन) के मध्य Time Slots के रूप में विभाजित किया जाता है। TDMA में प्रत्येक चैनल की बैंडविड्थ समान होती है जो विभिन्न स्टेशन के मध्य Time Slots को Share करते है। TDMA में विभिन्न स्टेशन के मध्य Synchronization प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है। इसमें प्रत्येक स्टेशन को उसका प्रारंभिक Time Slot तथा अंतिम Time Slot की लोकेशन पता होनी जरुरी होता है। इसमें Delay (देरी) को कम करने के लिए Guard Time को स्थापित किया जाता है।


CDMA (Code Division Multiple Access)

CDMA का पूरा नाम कोड डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह भी एक मल्टीप्ल एक्सेस तकनीक है जो कि CDMA तथा TDMA से मिलकर बना हुआ है। तथा यह इन दोनों तकनीक से बेहतर है। इसका प्रयोग ज्यादातर 3G टेलीकम्यूनिकेशन तथा अन्य तकनीकों में किया जाता है। CDMA में एक ही चैनल सभी Transmissions को एक साथ ले जाता है। इसमें लिंक की पूरी Bandwidth एक ही चैनल काम में ले लेता है जबकि FDMA में चैनल Bandwidth को बाँट लेते है। CDMA में सभी Stations एक साथ डेटा भेज सकते है लेकिन इसमें Time Sharing नहीं होती है जबकि TDMA में Time Sharing होती है। CDMA में अलग-अलग कोड्स के द्वारा कम्युनिकेशन होता है।


SDMA (Space Division Multiple Access)

SDMA का पूरा नाम स्पेस डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह भी एक Multiple Access Techniques है जिसका प्रयोग ज्यादातर वायरलेस (जैसे:- मोबाइल) तथा सेटेलाइट कम्युनिकेशन में किया जाता है। SDMA में सभी यूजर (स्टेशन) एक ही समय में एक ही चैनल का प्रयोग करके कम्यूनिकेट कर सकते है। SDMA की एक खासियत यह है कि इसमें कोई Overlapping यानि कि हस्तक्षेप नहीं होता है। इसमें एक सेटेलाइट एक ही फ्रीक्वेंसी की बहुत सारीं सेटेलाइटो के साथ कम्यूनिकेट कर सकता है। SDMA सभी यूजरों के लिए विकर्णित (Radiate) उर्जा को स्पेस में नियंत्रित करता है। इसमें Users (स्टेशन) को Serve करने के लिए यह Spot Beam Antenna का प्रयोग किया जाता है।


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Transmission Media in Hindi - Sunrise Computer

TRANSMISSION MEDIA Transmission Media सूचना को Sender से Receiver तक पहुँचाने का माध्यम Transmission Media कहलाता है। यह दो प्रकार का होता...