Sunday, June 6, 2021

Merit & Demerit of Peer to Peer Network in Hindi - Sunrise Computer

 Merit & Demerit of Peer to Peer Network

Advantage of Peer to Peer Network

1. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे Install और Setup करना बहुत ही आसान है। जिसका मतलब यह है कि इस Network को Configure और Implement करना बहुत Easy होता है।

2. इसे मैनेज करना भी बहुत आसान होता है क्योंकि प्रत्येक कंप्यूटर खुद को मैनेज करता है।

3. Peer to Peer Network की Cost कम होती है।

4. इसमें प्रत्येक कंप्यूटर जो है वह Server तथा Client दोनों की तरह कार्य करते है। इसलिए Dedicated Server की आवश्यकता नहीं होती है।

5. इसमें यदि एक कंप्यूटर में कोई खराबी आ जाती है तो इसका फर्क दुसरे Computers में नहीं पड़ता है।

6. इसमें Full-Time System Admin की जरूरत नहीं होती है। प्रत्येक यूजर अपने कंप्यूटर का Admin होता है। यूजर अपने Shared Resources को नियंत्रित कर सकते है।

7. इसमें Network Operating System की आवश्यकता नहीं पड़ती।

Dis-Advantage of Peer to Peer Network

1. इसमें एक Centralized Server नहीं होता है इसलिए इसे Administrate करना कठिन होता है और Data का Backup लेना भी Difficult होता है।

2. इसमें Security बहुत ही कम होती है इसमें Virus, Trojan, Spyware तथा Malware को आसानी से ट्रांसमिट किया जा सकता है।

3. इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग Torrents में किया जाता है। जहाँ कॉपीराइट Music Files तथा Videos को ट्रान्सफर किया जाता है।

4. प्रत्येक कंप्यूटर को दुसरे Users भी Access करते है इस कारण से यूजर की Performance Slow हो जाती है।


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Difference Between Physical & Logical Address in Hindi - Sunrise Computer

 Difference Between Physical & Logical Address

Physical address

Logical Address

Physical Address को MAC एड्रेस भी कहते है।

इस एड्रेस को Virtual एड्रेस भी कहते है।

यह एड्रेस यूनिक होता है क्योंकि इसे Change नही किया जा सकता है।

यह एड्रेस Virtual मैमोरी में स्टोर रहता है। 

फिजिकल एड्रेस Main मैमोरी में स्टोर होता है, यह एक 48 बिट एड्रेस है जो कि NIC कार्ड में उपस्थित होता है।

यह एड्रेस CPU द्वारा Generate होता है। यह हर सिस्टम के लिए अलग-अलग होता है तथा इसे Change किया जा सकता है। 


इस एड्रेस का प्रयोग डेटा लिंक लेयर में किया जाता है।

इस एड्रेस का प्रयोग नेटवर्क लेयर में किया जाता है। 

यह एड्रेस नेटवर्क में कंप्यूटर को Identify करने का कार्य करता है।

लॉजिकल एड्रेस एक IP एड्रेस होता है तथा यह एक 32-बिट एड्रेस होता है।


उदाहरण 

MAC एड्रेस:- 05-0h-77-7i-88-9a एक हेक्साडेसीमल वैल्यू होती है।

उदाहरण 

IP एड्रेस:-190.10.134.76



Difference Between Procedural & Non Procedural Language in Hindi - Sunrise Computers

Difference Between Procedural & Non Procedural Language 

Procedural Language

Non-Procedural Language

यह एक Command Driven भाषा है।

यह एक Function Driven लैंग्वेज है।

इसकी Efficiency (दक्षता) Non-Procedural से अधिक होती है।

इसकी दक्षता Procedural से कम होती है।

इसके Program का Size बहुत बड़ा होता है।

इसके Program का साइज़ कम होता है।

यह Time-Critical एप्लीकेशन के उपयुक्त (Suitable) नहीं होता है।

यह Time-Critical एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त होता है।

इसके Semantics बहुत ही Complex (कठिन) होते हैं।

इसके Semantics बहुत ही Easy होते हैं।

यह केवल restricted data types को ही return करता है।

यह किसी भी Data Types और Values को Return कर सकता है।

Procedural Language में Iterative Loops और Recursive Calls दोनों का प्रयोग किया जाता है।

Non-Procedural Languages में Recursive Calls का प्रयोग किया जाता है।


Difference Between Machine & Assembly Language in Hindi - Sunrise Computers

Difference Between Machine & Assembly Language

Machine language

Assembly language

Machine language एक नीचे स्तर (Lowest level) की एक भाषा है। जिसमें बाइनरी संख्या होती हैं जिसे कंप्यूटर सीधे execute कर सकता है।

Assembly Language एक low-level प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसको मशीन लैंग्वेज में बदलने के लिए एक सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है जिसे assembler कहते है।

मशीनी भाषा को मनुष्यों द्वारा समझा नहीं किया जा सकता है और इसे केवल कंप्यूटर द्वारा ही समझा जा सकता है।

असेंबली भाषा को मनुष्यों के द्वारा समझा जा सकता है तथा इसे प्रयोग और apply भी किया जा सकता है।

मशीनी भाषा में बाइनरी अंक 0 और 1 शामिल होते हैं।

Assembly language में syntax होते हैं जो कि English language के समान होते हैं। इसलिए, इन्हें प्रोग्रामर और users द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।

Machine Language जो है वह Platform Dependent होता है अर्थात यह Language प्रत्येक प्लेटफार्म के लिए अलग अलग होती है। इनके Features इसी अनुसार बदलते रहते है।

Assembly Language में instructions के समूह होते हैं और ये प्रत्येक platform के लिए एक समान होते हैं।

मशीन लैंग्वेज का प्रयोग मशीन कोड के रूप में ही किया जाता है।

असेंबली लैंग्वेज का प्रयोग माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित डिवाइस में, और Real Time Systems में किया जाता है।

Machine Language जो है वह First Generation Language है।

Assembly Language जो है वह Second Generation Language है।

मशीनी भाषा को बदला नहीं जा सकता है।

इसे बदलना या Modify करना बहुत ही आसान होता है।

मशीन भाषा के Syntax में Errors का Risk बहुत ही अधिक होता है।

इसमें Errors का खतरा कम होता है।

Binary Codes को हम याद नहीं कर सकते।

Assembly language में दिए गये Commands को याद किया जा सकता है।

इसमें कमांड्स को Execute करने के लिए Assembler की आवश्यकता नहीं होती हैं।

इसमें Commands को अच्छी तरह Execute करने के लिए Assembler की आवश्यकता होती है।



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Detail About Web Server & Application Server (In Hindi) - Sunrise Computer

Detail About Web Server & Application Server
Web Server
Web Server एक प्रोग्राम है| जो कि HTTP (हाइपर टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल) का प्रयोग Users को Web Pages को Serve करने में करता है| जब कोई यूजर किसी Web Page के लिए Request करता है तो वह उसे वेब पेज serve करता है|

Application Server
एप्लीकेशन सर्वर एक सर्वर प्रोग्राम होता है जो कि एप्लीकेशन प्रोग्राम के लिए Business Logic उपलब्ध करवाता है|
एप्लीकेशन सर्वर जो है वह वेब एप्लीकेशनों को बनाने की सुविधा उपलब्ध करवाता है तथा इन वेब एप्लीकेशन को Run करने का वातावरण भी देता है।

Difference Between Web Server & Web Application

1. वेब सर्वर केवल http, https प्रोटोकॉलों को ही सपोर्ट करता है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर केवल http और https तक ही सीमित नही है| यह http, https के साथ-साथ iiop, rmi प्रोटोकॉलों को सपोर्ट करता है|

2. वेब सर्वर छोटे तथा मध्यम आकार वाले वेब एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर का प्रयोग सामान्यतया बड़े पैमाने में किया जाता है|

3. वेब सर्वर jee मोड्यूल के servlet, JSP तकनीको के आधार पर विकसित किया गया है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर जो है वह servlet, JSP, EJB, JTA, जावा मेल तकनीको के आधार पर विकसित किया गया है|

4. वेब सर्वर केवल Servlet कंटेनर तथा JSP कंटेनर का ही प्रयोग करते है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर जो है वह servlet कंटेनर, JSP कंटेनर तथा EJB कंटेनर का प्रयोग करता है|

5. वेब सर्वर केवल .war extensions वाली फाइलों को ही Deploy करता है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर .war तथा .ear दोनों फाइलों को Deploy कर सकता है|

6. वेब सर्वर में रिसोर्स यूटिलाइजेशन निम्न होता है|जबकि एप्लीकेशन सर्वर में रिसोर्स यूटिलाइजेशन उच्च होता है|

7. वेब सर्वर का प्रयोग सबसे पहले 1989 में किया गया था| जबकि एप्लीकेशन सर्वर का प्रयोग 1990s में किया गया था|

8. वेब सर्वर के उदाहरण:- Tomcat, Apache, JWS, तथा Reisn आदि है| जबकि एप्लीकेशन सर्वर के उदाहरण:- Weblogic, Jboos, तथा Websphere आदि है|


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Multiple Access Techniques (In Hindi) - Sunrise Computers

 Multiple Access Techniques

FDMA (Frequency Division Multiple Access)

FDMA का पूरा नाम फ्रीक्वेंसी डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह Cellular System के लिए एक Multiple Access Techniques है जिसमें फ्रीक्वेंसी को विभाजित किया जाता है। इसमें लिंक की उपलब्ध Bandwidth को विभिन्न नोड्स (स्टेशन) के मध्य फ्रीक्वेंसी बैंड्स के रूप में विभाजित किया जाता है। इसमें प्रत्येक स्टेशन को डेटा भेजने के लिए एक बैंड एलोकेट किया जाता है तथा प्रत्येक बैंड हमेशा एक स्टेशन के लिए रिज़र्व रहता है। इसमें प्रत्येक स्टेशन की ट्रांसमीटर फ्रीक्वेंसी को सिमित रखने के लिए एक बैंडपास फ़िल्टर का उपयोग किया जाता है। FDMA में एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन के मध्य Overlapping से बचने के लिए Allocated बैंड्स के मध्य एक छोटा बैंड जिसे गार्ड बैंड कहते है स्थापित किया जाता है।


TDMA (Time Division Multiple Access)

TDMA का पूरा नाम टाइम डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह एक Multiple Access Techniques है। इसमें चैनल की Bandwidth को विभिन्न नोड्स (स्टेशन) के मध्य Time Slots के रूप में विभाजित किया जाता है। TDMA में प्रत्येक चैनल की बैंडविड्थ समान होती है जो विभिन्न स्टेशन के मध्य Time Slots को Share करते है। TDMA में विभिन्न स्टेशन के मध्य Synchronization प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है। इसमें प्रत्येक स्टेशन को उसका प्रारंभिक Time Slot तथा अंतिम Time Slot की लोकेशन पता होनी जरुरी होता है। इसमें Delay (देरी) को कम करने के लिए Guard Time को स्थापित किया जाता है।


CDMA (Code Division Multiple Access)

CDMA का पूरा नाम कोड डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह भी एक मल्टीप्ल एक्सेस तकनीक है जो कि CDMA तथा TDMA से मिलकर बना हुआ है। तथा यह इन दोनों तकनीक से बेहतर है। इसका प्रयोग ज्यादातर 3G टेलीकम्यूनिकेशन तथा अन्य तकनीकों में किया जाता है। CDMA में एक ही चैनल सभी Transmissions को एक साथ ले जाता है। इसमें लिंक की पूरी Bandwidth एक ही चैनल काम में ले लेता है जबकि FDMA में चैनल Bandwidth को बाँट लेते है। CDMA में सभी Stations एक साथ डेटा भेज सकते है लेकिन इसमें Time Sharing नहीं होती है जबकि TDMA में Time Sharing होती है। CDMA में अलग-अलग कोड्स के द्वारा कम्युनिकेशन होता है।


SDMA (Space Division Multiple Access)

SDMA का पूरा नाम स्पेस डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस है। यह भी एक Multiple Access Techniques है जिसका प्रयोग ज्यादातर वायरलेस (जैसे:- मोबाइल) तथा सेटेलाइट कम्युनिकेशन में किया जाता है। SDMA में सभी यूजर (स्टेशन) एक ही समय में एक ही चैनल का प्रयोग करके कम्यूनिकेट कर सकते है। SDMA की एक खासियत यह है कि इसमें कोई Overlapping यानि कि हस्तक्षेप नहीं होता है। इसमें एक सेटेलाइट एक ही फ्रीक्वेंसी की बहुत सारीं सेटेलाइटो के साथ कम्यूनिकेट कर सकता है। SDMA सभी यूजरों के लिए विकर्णित (Radiate) उर्जा को स्पेस में नियंत्रित करता है। इसमें Users (स्टेशन) को Serve करने के लिए यह Spot Beam Antenna का प्रयोग किया जाता है।


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'O' Level (M2-R5) {Detailed Notes in Hindi}

 Introduction to Web Designing & Publishing (In Hindi)

1. Introduction to Web Design

2. Websites & Its Types

3. Responsive Web Design

4. Text Editor

5.

Text Editor in Hindi

Text Editors in Hindi

Text Editor

यह एक सॉफ्टवेयर है जो नई प्लेन टेक्स्ट फाइल बनाने, पहले से बनी फाइल में कुछ ऐड करने व डिलीट करने की सुविधा देता है टेक्स्ट एडिटर टेक्स्ट में फॉर्मेट इन नहीं जोड़ते हैं इसका प्रयोग प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में टेक्स्ट एडिटर सोर्स कोड एडिटर को रिफर करता है।


Text Editor एक प्रकार का टूल है। जिसका उपयोग प्लेन टेक्स्ट फाइल को एडिट करने में करते है।

Example - Notepad, Notepad++, Sublime, Text Edit, Visual Studio, Textmate, Atom, Vim, Dreamweaver, etc.


Notepad - नोटपैड माइक्रोसॉफ्ट विंडोज के लिए एक सिंपल टेक्स्ट एडिटर और बेसिक टेक्स्ट एडिटिंग प्रोग्राम है। जो कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं को डॉक्यूमेंट बनाने की सुविधा देता है। इसे माइक्रोसॉफ्ट इनकॉरपोरेशन द्वारा डिवेलप किया है। ये एक यूटिलिटी सॉफ्टवेयर होता है, जो कि सिस्टम सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करते समय स्वतः इंस्टॉल हो जाता है।


Notepad++ 

  • Notepad++ एक प्रकार का फ्रीवेयर टेक्स्ट व सोर्स कोड एडिटर होता है। ये एडिटर केवल विंडोज प्लेटफार्म को सपोर्ट करता है।

  • पावरफुल एडिटिंग कंपोनेंट scintilla पर आधारित NOTEPAD++, C++ में लिखा गया है।

  • यह Win32 API और STL का प्रयोग किया जाता है।

  • GNU के तहत इसका प्रयोग किया जा सकता है।

  • Notepad++ को हमारे टेलीग्राम चैनल से डाउनलोड कर सकते है।


Advantages

  • Syntax Highlighting

  • Auto Completion for programming, script & Markup Language

  • Macros

  • Auto Save

  • Finding & Replacing String of Text with Regular Expression

  • Simultaneous Editing

  • Tabbed Document Interface

Responsive Web Design in Hindi - Sunrise Computer

Responsive Web Design

Responsive Web Design

यह एक प्रकार का वेब डिजाइनिंग एप्रोच है जिसका प्रयोग वेबसाइट को अलग अलग डिवाइस (जैसे - लैपटॉप, टेबलेट, मोबाइल, आदि) में वेबसाइट के लेआउट को डिवाइस के अनुसार ऑटो एडजस्ट करने के लिए इस एप्रोच का प्रयोग किया जाता है।

इस Responsive Web Design शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग Ethan Marcotte ने किया था। इनके अनुसार responsive web design के तीन भाग निम्न होते है -

  1. Fluid Grid - इसमें fluid width column, fixed gutter व fixed margin होती है। जिसमे स्क्रीन साइज के आधार पर column grow या shrink हो जाता है।

  2. Fluid Image - Image की hieght, width px में सेट करने से कभी कभी इमेज स्क्रीन पर प्रॉपर डिस्प्ले नही होती है। अतः responsive web design के लिए इमेज को responsive बनाना जरूरी होता है।

  3. Media Queries - स्क्रीन resolution व Orientation के आधार पर layout customize कर सकती है।

Websites & Its Types in Hindi

Websites & Its Types in Hindi

Website - वेबसाइट कई सारे वेब पेज का कलेक्शन होती है। जिसमे प्रत्येक वेब पेज आपस में हाइपरलिंक्ड होते है और सभी वेब पेज एक ही डोमेन को रिफर करते है।

Web Page - वेबपेज एक इलेक्ट्रॉनिक पेज होता है। जिसमे एचटीएमएल, सीएसएस और अन्य प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का प्रयोग करके बनाया जाता है। इसमें टेक्स्ट जानकारी के साथ-साथ इमेज, ऑडियो, वीडियो और अन्य हाइपरलिंक भी शामिल होते है।


Working of Websites

  • वेबसाइट किसी वेब सर्वर पर पोस्ट की जाती है और उसका एक आईपी एड्रेस होता है। जिसके द्वारा उस वेबसाइट को ग्लोबली एक्सेस किया जा सकता है।

  • जब यूजर ब्राउज़र पर वेबसाइट का डोमेन नेम सर्च करता है और ब्राउज़र ip-address के द्वारा सर्वर से जुड़ता है। अतः डोमिन सर्वर डोमेन नेम (URL) को एड्रेस रिजॉल्यूशन प्रोटोकॉल के द्वारा आईपी एड्रेस में बदल देता है।

  • आईपी एड्रेस प्राप्त हो जाने के बाद ब्राउज़र सर्वर से एचटीटीपी रिक्वेस्ट करता है और डिस्कनेक्ट हो जाता है फिर रिस्पांस का इंतजार करता है।

  • सरवर यूजर की रिक्वेस्ट को प्रोसेस करने के बाद दुबारा कनेक्शन स्थापित करता है। फिर क्लाइंट प्रोग्राम पर वेबसाइट (रिजल्ट) खुल जाता है।


Types of Websites

  1. Static Website - स्टैटिक वेबसाइट उनका तेजस का कलेक्शन होता है जिनका कंटेंट फिक्स होता है। प्रत्येक यूजर के लिए एक जैसा रहता है। स्टैटिक वेबसाइट को डिजाइन करना आसान है और इसे बनाने में लागत भी बहुत कम आती है।

  2. Dynamic Website - यह वेबसाइट उन वेबपेज का कलेक्शन होता है। जिसका कंटेंट समय समय पर परिवर्तित होता रहता है। इस वेबसाइट को बनाने के लिए फ्रंट एंड और बैक एंड टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया जाता है।

Front End Technology

फ्रंट एंड वेबसाइट का वह भाग होता है जिससे यूजर ब्राउज़र पर देख सकता है व डायरेक्टली उसे इंटरेक्ट कर सकता है। अर्थात इस टेक्नोलॉजी के द्वारा ब्राउज़र पर प्रोग्राम को कंट्रोल वमैनेज किया जा सकता है। इसको निर्मित करने में मुख्य रूप से एचटीएमएल, जावास्क्रिप्ट तथा सीएसएस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का प्रयोग हुआ है।


Back End Technology

बैक एंड वेबसाइट का वह भाग होता है जिसे यूजर देख नही सकता है। वेबसाइट के बैक एंड को वेबसाइट की बैकबोन भी माना जाता है, क्योंकि बैक एंड में सर्वर, एप्लीकेशन, व डेटाबेस होता है। बैक एंड और फ्रंट एंड आपस में कम्युनिकेट करता रहता है और डाटा सेंड करता रहता है जो कि वेबपेज पर प्रदर्शित होता है।


Saturday, June 5, 2021

Introduction to Web Design in Hindi

'O' Level (M2-R5)

Chapter-01 (Introduction to Web Design)

Network - कंप्यूटर नेटवर्क का एक ऐसा ग्रुप होता है। जो आपस में इस प्रकार जुड़े रहते हैं कि वह इंफॉर्मेशन को शेयर कर सकें और आपस में कम्युनिकेट कर सके क्योंकि नेटवर्क का मुख्य उद्देश्य कम्युनिकेशन करना होता है। जब हम नेटवर्क में जुड़े कंप्यूटर के साथ कम्युनिकेशन करते समय नियमों का पालन करते हैं तो उन्हें प्रोटोकॉल कहा जाता है।

Internet - इंटरनेट को नेटवर्कों का नेटवर्क होता है। जिसमें कि नेटवर्किंग डिवाइस का प्रयोग करके इंफॉर्मेशन को शेयर तथा कम्युनिकेशन की जा सकती है। इंटरनेट नेटवर्क स्टाइलिश करने के लिए टीसीपी / आईपी, ओ.एस.आई.मॉडल और पैकेट स्विचिंग का प्रयोग किया जाता है।


WWW - WWW का पूरा नाम वर्ल्ड वाइड वेब होता है जिसे W3 या वेब के नाम से भी जानते हैं। इसे TIM BERNERS LEE द्वारा 1989 में बनाया गया था। WWW एक इंटरनेट पर एक इंफॉर्मेशन सिस्टम होता है। WWW के द्वारा वेब में उपलब्ध किसी भी रिसोर्स को एक्सेस किया जा सकता है।इंटरनेट और WWW एक समान नहीं है क्योंकि इंटरनेट इंटरकनेक्टेड कंप्यूटर नेटवर्क का ग्लोबल सिस्टम होता है, जबकि WWW, Hyperlink Documents के साथ साथ another रिसोर्सेज का कलेक्शन होता है। WWW सम्पूर्ण रूप से इंटरनेट पर निर्भर है।


BASIC TERMINOLOGY OF INTERNET

  1. ISP - आईएसपी का पूरा नाम इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर होता है यह टेलीफोन कंपनी होती है जो इंटरनेट से कनेक्ट होने की सुविधा प्रदान करती है भारत में सर्वप्रथम इंटरनेट की सुविधा VSNL (Videsh Sanchar Nigam Limited) द्वारा संचालित की गई थी। Jio, Airtel, VI, BSNL, ISP के प्रमुख उदाहरण है।

  2. DNS - इसका पूरा नाम डोमेन नेम सिस्टम होता है जो ip-address को कैरेक्टर स्ट्रिंग में चेंज करता है जिससे यूजर को वेबसाइट का आईपी एड्रेस नहीं याद रखना पड़ता है। 

  3. HTTP - इसका पूरा नाम हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल होता है जोकि टीसीपी मॉडल में पोर्ट नंबर 80 पर कार्य करता है। यह द ब्राउज़र को सर्वर से कनेक्शन इस्टैबलिश्ड कराने के लिए व इंफॉर्मेशन को एक्सचेंज करने के लिए सुविधा प्रदान करता है।

  4. MODEM - इसका पूरा नाम Modulator - Demodulator होता है। यह एक टेलीफोन लाइन के माध्यम से कंप्यूटर को इंटरनेट से कनेक्ट करने की सुविधा देती है यह डिजिटल सिग्नल को एनालॉग एवं एनालॉग सिग्नल को डिजिटल में परिवर्तित करती है।

  5. HTML - इसका पूरा नाम हाईपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज होता है। जिसका प्रयोग वेब पेज को बनाने के लिए किया जाता है।

  6. Hyper - Link - Website के एक पेज से दूसरे पेज पर जाने के लिए या किसी अन्य वेबसाइट को अपनी वेबसाइट पर लिंक करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

  7. Home Page - किसी वेबसाइट का वह फ्रंट पेज होता है। जब हम उस वेबसाइट को ओपन करते हैं तो सर्वप्रथम जो पहला पेज दिखाई देता है, उसे होमपेज कहा जाता है। इसे इंडेक्स पेज के नाम से भी जानते है।

  8. Downloading - इंटरनेट के माध्यम से सर्वर पर स्टोर किसी भी फाइल को अपने कंप्यूटर या लोकल कंप्यूटर में सेव करने की प्रक्रिया को डाउनलोडिंग कहते हैं।

  9. Uploading - इंटरनेट के माध्यम से लोकल कंप्यूटर या क्लाइंट कंप्यूटर के द्वारा सर्वर पर किसी भी फाइल को स्टोर कराने की प्रक्रिया को अपलोडिंग कहा जाता है।

  10. Cookie - जब यूजर वेब ब्राउज़र के माध्यम से किसी वेबसाइट को ओपन करता है तो वेब ब्राउज़र बाई डिफॉल्ट उस वेबसाइट के रिगार्डिंग कुछ इंफॉर्मेशन स्टोर कर लेता है जिसमें उस वेबसाइट में कितने वेबपेज होते हैं और फॉर्म में डाटा क्या भरा गया है एड्रेस क्या है और स्टेट फुल इनफार्मेशन रहती है जिसे इंटरनेट की टर्मिनोलॉजी में Cookie कहते हैं। इसे http cookie, web cookie, browser cookie, internet cookie भी कहते है।

  11. Surfing - WWW के द्वारा एक वेबपेज से दूसरे वेब पेज पर जाने की प्रक्रिया को सर्फिंग कहते है।

  12. Bandwidth - निश्चित समय में ट्रांसफर होने वाले डाटा को बैंडविथ कहते है।




Wednesday, June 2, 2021

Difference Between IPv4 & IPv6 (In Hindi) - Sunrise Computer

 DIFFERENCE BETWEEN IPv4 & IPv6 

IPv4

IPv6

इसमें 32 बिट्स लम्बाई का एड्रेस होता है।

इसमें 128 बिट्स लम्बाई का एड्रेस होता है।

IPv4 एड्रेस एक बाइनरी संख्या होती है जिसे डेसीमल में प्रदर्शित किया जाता है।

IPv6 एड्रेस भी बाइनरी संख्या होती है जिसे हेक्साडेसीमल में प्रदर्शित किया जाता है।

इसमें Fragmentation को Sender तथा Forwarding Routers दोनों के द्वारा Perform किया जाता है।

इसमें Fragmentation को केवल Sender के द्वारा परफॉर्म किया जाता है।

यह मोबाइल नेटवर्क के लिए थोडा कम अनुकूल है।

यह मोबाइल नेटवर्क के लिए ज्यादा अनुकूल है।

इसमें Header Field की संख्या 12 है।

इसमें Header Field की संख्या 8 है।

इसकी शुरुआत 1981 में हुई थी।

इसकी शुरुआत 1998 में हुई थी।

यह एक Numeric Address है जिसमें 4 Fields होते है और ये फील्ड dot (.) के द्वारा Separate (अलग) रहते हैं।

यह एक Alphanumeric Address है जिसमें 8 Fields होते है और ये फ़ील्ड्स colon (:) के द्वारा Separate रहते हैं।

इसके पास IP Address की 5 Class होती हैं। – Class A, Class B, Class C, Class D, Class E.

इसके पास IP Address की कोई भी Class नहीं होती।

इसके पास सिमित (Limited) संख्या में IP Address होते हैं।

इसके पास बहुत बड़ी संख्या में IP Address होते हैं।

यह VLSM (Virtual Length Subnet Mask) को सपोर्ट करता है।

यह VLSM को Support नही करता।

यह 4 Billion यूनिक Addresses को जनरेट करता है।

यह Undecillion यूनिक Addresses को जनरेट करता है।

IPv4 में, End to End Connection Integrity को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

IPv6 में, End to End Connection Integrity को प्राप्त किया जा सकता है।

इसमें Checksum Field उपलब्ध होते हैं।

इसमें Checksum Field उपलब्ध नहीं रहते है।

यह Encryption और Authentication प्रदान नही करता।

यह Encryption और Authentication प्रदान करता है।

यह SNMP प्रोटोकॉल को Support करता है।

यह SNMP को सपोर्ट नहीं करता।

इसमें MAC Address को Map करने के लिए ARP (Address Resolution Protocol) का इस्तेमाल किया जाता है।

इसमें MAC Address को Map करने के लिए NDP (Neighbour Discover Protocol) का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण – 166.93.28.10

उदाहरण – 2001:0db8:0000:0000:0000:ff00:0042:7879



Transmission Media in Hindi - Sunrise Computer

TRANSMISSION MEDIA Transmission Media सूचना को Sender से Receiver तक पहुँचाने का माध्यम Transmission Media कहलाता है। यह दो प्रकार का होता...